Bahut Masoom si Ladki hai
Bahut Masoom si Ladki hai

Bahut Masoom si Ladki hai

बड़ी नज़ाकत से अपनी मोहोबत को छिपा लेती है
बताती नही है मुझसे पर मुझे ज़रूर आज़मा लेती है
कभी तस्वीरे तो कभी फूल भेजती है मुझे लिफाफे में
मोहोबत नही करती मुझसे ,ये कहकर उंगलिया दबा लेती है

और मेरे किस्सो से ही मेरी कहानिया बना लेती है
जब संवरती है ना तो गले पर काला टिका लगा लेती है
अब इस अदा पर भी दिल न बहके तो किधर जाए
जब मुझसे मिलती है ना तो अपनी ही नज़रे उतार लेती है

अल्फाज़ो की धक्का मुक्की में जज़्बात छिपा लेती है
समझती रहती है मुझको खुदको समझा लेती है
कुछ ना कहने के चक्कर मे बहोत कुछ कहती है
कुछ समझने के फेरे में सब कुछ उलझा लेती है

जब हंसती है ना तो हर गम भुला देती है
छोटी सी ठोकर पे बच्चो जैसे आंसू बहा देती है
बहोत मासूम सी लड़की है इश्क़ की बात नही समझती
पर जब घबराती ही है तो मुझे सीने से लगा लेती है.

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